Monday, February 1, 2016

हम तो बेहोश यु ही हो जाते क्या ज़रुरत थी मुस्कुराने की

मस्त  नज़रों  से  देख  लेना  था
अगर  तमन्ना  थी  आज़माने  की ,
हम  तो  बेहोश  यु  ही  हो  जाते
क्या  ज़रुरत  थी  मुस्कुराने  की

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