Monday, May 8, 2017

चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली

चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली,
कुछ पल ठहरी फिर चल निकली,
उनसे क्या कहे वोह तो सच्चे थे,
शायद हमारी तक़दीर ही हमसे खफा निकली ..

मेरा गम कोई ना समझ पाया dard shayari

हसरत थी सच्चा प्यार पाने की,
मगर चल पडी आँधियां जमाने की,
मेरा गम कोई ना समझ पाया,
क्युँकी मेरी आदत थी सबको हसाने की ..