Friday, March 19, 2010

बठे बिठाये याद आये तो क्या करू
दिलसे किसीकी ख्याल नजाए तो क्या करू
टूट चूका हु मई अन्दर से आसू बह रहे है दिलसे
पर ए ओठ मुस्कुराये तो क्या करू
क्या करू मै डरता हु मजबूर हु

पास रह कर भी तुझे से दूर हु
जिन्दगी में भी मौत मिल रही है मुझे
मरके भी जिन्दा जरुर हु
सुबह क्या आया आप सितरो को भूल गए

चाँद क्या निकला आप सूरज को भूल गए
कुछ समय के लिए हमारा एस मेस नहीं मिला
आप हमें याद करना भूल गए
पत्र क्या जिन्दगी का सहारा मिल गया

डूबती नईया को किनारा मिल गया
जिन्दगी मुझसे रूठ गयी थी
मेरी जिन्दगीको नया जीवन दुबारा मिल गया
प्यारी तुम बिन अब मोहे परत ना चैन

बिन मोसम बरसात के बरसत दोनों नैन