Friday, January 2, 2015

तुम से दूर रहूँ मगर कैसे

 
तुम  से  दूर  रहूँ  मगर  कैसे ,
हाल -ए-दिल  भी  कहूँ  मगर  कैसे ,

बहुत  समझाया  इस  पागल  दिल  को  यह  सनम ,
दिल को  मज़बूर  करून  मगर  कैसे ,

कुछ  तो  कहती  है  आँखों  से  वह  भी ,
वह  बात  कागज़  पर  लिखूं  मगर  कैसे ,

वक़्त  की  लहरों  से  मैं  वाकिफ  तो  हूँ ,
वक़्त  के  सफर  को समझूँ  मगर  कैसे ,

हर  ग़म  उठा  लेंगे  साथ  जो  तुम  कहो ,
तुम  बिन  खुद  को  सोचूं  मगर  कैसे ,

तुम  से  दूर  रहूँ  मगर  कैसे ,
हाल -ए-दिल  भी  कहूँ  मगर  कैसे

वास्ता है तुझे मुझ से किये प्यार का

 
मतलब  क्या हुआ  बेरुखी  का ,
है  कौन  मुज़रिम  तेरी  इस  ख़ुशी  का ,

उम्मीद  थी  जिस  से  प्यार  की  हे  खुदा ,
बुझ  गया  वह  चिराग  कभी  का ,

जब  कभी  भी  गुज़रूँगा  तेरी  गलियों  से ,
सब पूछेंगे  वजह मेरी  ख़ामोशी  का ,

न  जाने  कब  रिश्ता  बदल  जाए  प्यार  का ,
अब  भरोसा  नहीं  रहा  मुझे  किसी  मुरीद  का ,

तेरे  वादों  का  जूनून  पास  रहे  मेरे ,
वास्ता  है  तुझे  मुझ  से  किये  प्यार  का

Thursday, January 1, 2015

(बेवफाई सायरी )मशालों की तरह दिल जल रहे हैं

गिलाश  पर  गिलाश  बहुत  टूट  रहे  हैं ,
खुसी  के  प्याले  ग़मों  से  भर  रहे  हैं ,
मशालों  की  तरह  दिल  जल  रहे  हैं ,
जैसे  ज़िन्दगी  में  बदकिस्मती  मिल  रहे  हैं

जिस्म और जान जुदा हो गए आज

जिस्म  और  जान  जुदा  हो  गए  आज ,
वो  मेहँदी  के  रंग  में  खो  गए  आज ,
हमने  चाहा  जिसे  सीदत से ,
वो  उम्र  भर  किसी  और  के  हो  गए  आज