Wednesday, April 13, 2011

आपको तकलीफ देना नहीं चाहते

अपने  दर्द  आप  को  बताके  हम  आपको  तकलीफ  देना  नहीं  चाहते ,
हस्ते  ही  रहते  जो  हमेशा  हम  आपको  रुलाना  नहीं  चाहते ,
ठोकर  खाके  जो  हम  निचे  गिरे  है  तो  खुद  ही  उपर  भी  उठेगे ,
अ  दोस्त  तुम्हारी  तो  क्या  हम  खुदा  की  भी  मदद लेना  नहीं  चाहते .

रात से डर लगता है

रात  से  डर  लगता  है
बात  दिन  की  नहीं , अब  रात  से  डर  लगता 
घर  है  काचा  मेरा , बरसात  से  डर  लगता  है
तेरे  तोहफे  ने  तो   बस  खून  के  आंसू  ही  दिए
ज़िन्दगी   अब  तेरी   सौगात  से  डर  लगता  है
प्यार  को  छोर  क़र  तुम  और  कोई  बात  करो
अब  मुझे  प्यार  की  हर  बात  से  डर  लगता  है
मेरी  खातिर  ना वो  बन्द्नाम  कहें  हो  जाएं
इस  लिए  उन्  की  मुलाक़ात  से  डर  लगता  है