Monday, December 15, 2014

अफ़सोस वही हमारी चाहत से बेखबर निकला

कितना  अजीब  अपनी  ज़िन्दगी  का  सफर  निकला ,
सारे  जहाँ  का  दर्द  अपना  मुक़द्दर  निकला ,
जिसके  नाम  अपनी  ज़िन्दगी  का  हर  लम्हा  कर  दिया
अफ़सोस  वही  हमारी  चाहत  से  बेखबर  निकला

ये लो मेरा मासूम दिल इसके टुकड़े हज़ार करदो

प्यार  करते  हो  मुझसे  तो  इज़हार  कर  दो ,
अपनी  मोहब्बत  का  ज़िकर  आज  सरे  आम  कर  दो
नहीं  करते  अगर  प्यार  तो  इंकार  कर  दो ,
ये  लो  मेरा  मासूम  दिल  इसके  टुकड़े  हज़ार  करदो .

सिर्फ नजदीकियों से मोहब्बत हुआ नहीं करती ,

सिर्फ  नजदीकियों  से  मोहब्बत  हुआ  नहीं  करती ,
फासले जो  दिलों  में  हो  तो  फिर  चाहत  हुआ  नही  करती
अगर  नाराज़  हो  खफा  हो  तो  शिकायत करो  हमसे
खामोश  रहने  से  दिलो  की  दूरिया  मिटा  नही  करती

ना प्यार होता किसी पत्थर दिल से हमको

काश  उसे  चाहने  का  अरमान  ना  होता ,
मैं  होश  में  रहते  हुए  अनजान  ना  होता
ना प्यार  होता  किसी  पत्थर  दिल  से  हमको ,
या  फिर  कोई  पत्थर  दिल  इंसान  ना  होता

काश कोई हम पर भी इतना प्यार जताती

काश  कोई  हम  पर  भी  इतना  प्यार  जताती
पीछे  से  आकर  वो  हमारी  आँखों  को  छुपाती ,
हम  पूछते  की  कौन  हो  तुम …??
और  वो  है  कर  खुदको  हमारी  जान  बताती .

दिल चीर के दिखाऊ की क्या है इस दिल में

आज  एक  धीमी  सी  आहत  है  इस  दिल  में ..
शायद  कोई  अधूरी  सी  चाहत  है  इस  दिल  में ..

क्या  करूँ  मैं  कहाँ  जाऊं ..
बड़ी  खलबली  सी  है  आज  इस  दिल  में ..

कोई  अपना  होता  तोह  बिन  कहे  ही समझ  लेता ,
अब  किस  को  बताऊँ  की क्या  हैं  इस  दिल  में ..??

भूले  बैठे  है  वो  लोग  भी  जिन्हे   अपना  समझता  हूँ
कभी  मिले  तो  दिल  चीर  के दिखाऊ  की  क्या  है  इस  दिल  में ?

ये दिल इतना नादान क्यों है

गुलसन है अगर सफ़र जिंदगी का तो इसकी मंजिल समशान क्यों है?
जब जुदाई है प्यार का मतलब तो फिर प्यार वाला हैरान क्यों है?
अगर जीना ही है मरने के लिए तो जिंदगी एक वरदान क्यों है?
जो कभी न मिले उससे ही लग जाता है दिल,आखिर ये दिल इतना नादान क्यों है?