Monday, February 1, 2016

महकती बहारो में तुम्हे फूलों की तरह देखा है

महकती  बहारो  में  तुम्हे  फूलों की  तरह देखा  है ,
बरसते  सावन  में  तुम्हे  बूँदो  की तरह  देखा  है ,
सजा  रखे  है जो ख्वाब  अपनी  ज़िन्दगी  की  रहो  में ,
उन  रहो  में  तुम्हे  अपनी  दुल्हन  बनते  देखा  है .

आपकी मुस्कराहट ने हमें बेहोश कर दिया

आपकी  मुस्कराहट  ने  हमें  बेहोश  कर  दिया ,
हम  होश  में  आने  ही  वाले  थे ,
की  आपने  फिर  से  मुस्कुरा  दिया

जो खुद गुलाब है उसको क्या गुलाब दू



तुम्हारी  इस  तुम्हारी  इस  अदा  का  क्या  जवाब  दू ,
अपने  दोस्त  को  क्या  उपहार  दू ,
कोई  अच्छा  सा  फूल  होता  तो  माली  से  मंगवाता ,
जो  खुद  गुलाब  है  उसको  क्या  गुलाब  दू

कभी सजदे में जाकर पूछो अपने रब से

मैंने   दुआ  में  तुझे  माँगा  है ,
मगर  वफ़ा  से  माँगा  है ..!!
कभी  सजदे  में  जाकर  पूछो  अपने  रब  से ,
की   मैंने  किस   किस  अदा   से  तुम्हे  माँगा  है ..!!