Monday, December 22, 2014

बस आँखों में तेरे सपने सजाये रखे

हमने  तो  इश्क़  का  इज़हार  नहीं  किया
इस  दिल  को  इतना  बेक़रार  नहीं  किया ,
बस  आँखों  में   तेरे  सपने  सजाये  रखे
कभी  अपने  होंठों  से  इज़हार  नहीं  किया

नफ़रत भी है तुंम्से मोहब्बत भी है तुमसे

नफ़रत  भी  है  तुंम्से , मोहब्बत  भी  है तुमसे
पर  मेरी मोहब्बत  नफरत  पे  हावी  हो  जाती  है  !!
तुमसे  दूर  जाने  की  मेरी  हर  मुकम्मल  कोशिश
मुझे  जाने  क्यों तेरे  और  करीब  ले  आती  है !!

तेरी तस्वीर थी इन आँखों में

मुझसे   मत  पूछ  की क्यूँ
आँखें  झुका  ली  मैंने ..
तेरी  तस्वीर  थी  इन  आँखों  में
वह  तुझी  से  छुपा  ली  मैंने ..

दो बूंद मेरे प्यार की पीले

जाम पे जाम पीनेसे क्या फायदा,
शाम को पी सुबह उतर जाएगी,
अरे दो बूंद मेरे प्यार की पीले,
जिन्दगी सारी नशेमे गुज़र जाएगी

किसी के पास वो सूरत नहीं सिवा तेरे

मुझे  किसी  से  मुहब्बत  नहीं  सिवा  तेरे
मुझे  किसी  की  जरुरत  नहीं  सिवा  तेरे ….!

मेरी  नजर  को  थी  तलाश  जिसकी  बरसो  से
किसी  के  पास  वो  सूरत  नहीं  सिवा  तेरे  !

जो  मेरे  दिल , मेरी  ज़िन्दगी  से  खेल  सके
किसी  को  इतनी  इजाज़त  नहीं  सिवा  तेरे ……..!!

तुम्हारा ख्याल और बस तुम

एक  आस , एक  एहसास , मेरी  सोच  और  बस  तुम ,
एक  सवाल  कैसा है तुम्हारा हाल , तुम्हारा  ख्याल  और  बस तुम

कोई हैं जिसका इस दिल को इन्तजार हैं ..

कोई  हैं  जिसका  इस  दिल  को  इन्तजार  हैं ..
ख्यालो  में  बस  उसी  का  ख्याल  हैं ..
खुशीआं मैं  सारी  उस  पर  लूटा  दू
चाहत  में  उसकी  मै सब कुछ भुला  दू
कब  आएगा  वो  जिसका  इस  दिल  को  इन्तजार  है

Sunday, December 21, 2014

ये प्यार तो नहीं

साँस तेज़ है बुखार तो नहीं,..
नब्ज़ देखना ये प्यार तो नहीं...!

Wednesday, December 17, 2014

खून के नापाक ये धब्बे खुदा से कैसे छिपाओगे

 पाकिस्तान के पेशावर में हुए खौफनाक वारदातका हमे बहुत  दुःख  है  


खून के नापाक ये धब्बे खुदा से कैसे छिपाओगे
मासूमों की कब्र पर चढ़कर कौन सी जन्नत जाओगे
उठ उठ के मस्जिदों से नमाजी चले गए,
दहशतगरों के हाथ में इस्लाम रह गया
वही तख़्त है वही ताज है वही ज़हर है वही जाम है,
ये वही खुदा की ज़मीन है ये वही बुतों का निज़ाम है
यहां एक बच्चे के ख़ून से जो लिखा हुआ है उसे पढ़ें
तेरा कीर्तन अभी पाप है, अभी मेरा सजदा हराम है

Monday, December 15, 2014

अफ़सोस वही हमारी चाहत से बेखबर निकला

कितना  अजीब  अपनी  ज़िन्दगी  का  सफर  निकला ,
सारे  जहाँ  का  दर्द  अपना  मुक़द्दर  निकला ,
जिसके  नाम  अपनी  ज़िन्दगी  का  हर  लम्हा  कर  दिया
अफ़सोस  वही  हमारी  चाहत  से  बेखबर  निकला

ये लो मेरा मासूम दिल इसके टुकड़े हज़ार करदो

प्यार  करते  हो  मुझसे  तो  इज़हार  कर  दो ,
अपनी  मोहब्बत  का  ज़िकर  आज  सरे  आम  कर  दो
नहीं  करते  अगर  प्यार  तो  इंकार  कर  दो ,
ये  लो  मेरा  मासूम  दिल  इसके  टुकड़े  हज़ार  करदो .

सिर्फ नजदीकियों से मोहब्बत हुआ नहीं करती ,

सिर्फ  नजदीकियों  से  मोहब्बत  हुआ  नहीं  करती ,
फासले जो  दिलों  में  हो  तो  फिर  चाहत  हुआ  नही  करती
अगर  नाराज़  हो  खफा  हो  तो  शिकायत करो  हमसे
खामोश  रहने  से  दिलो  की  दूरिया  मिटा  नही  करती

ना प्यार होता किसी पत्थर दिल से हमको

काश  उसे  चाहने  का  अरमान  ना  होता ,
मैं  होश  में  रहते  हुए  अनजान  ना  होता
ना प्यार  होता  किसी  पत्थर  दिल  से  हमको ,
या  फिर  कोई  पत्थर  दिल  इंसान  ना  होता