Monday, March 28, 2011

शखी सहेली कह रही थी ,नदी में भरा है पानी 
स्नान को कैसे करने जाती हो चली थी स्यानी
चाल शराबी  ओठ गुलाबी ,नैन  तेरे कजरारे
तेरी इन भोली सूरत पे चाँद भी शर्माए
मुझे प्यास लगी है जानी जी भरके पिला दो पानी
साग से गागर निकाल कर   
तेरी इस जवानी पे कितने आशिक क़त्ल होगे
जरा चुनरी ओढ़ संभाल कर
फूलो का रस चूस लेती है तितली
भोरो का नाम होता है
खुली सड़क पे दुपटा सरकाती है खुद
और आशिक का नाम होता है

Saturday, March 26, 2011

मोहबत जो छिपी है तुम्हारे लिए

मुझे  तुमसे  मोहब्बत  थी
मैं  अब  इकरार  करता  हूँ 
बहुत  पहले  जो  करना  था
वो   अब  इज़हार  करता  हूँ
बहुत  चाहाथा  बन  जाऊं
कभी  साया  तुम्हारा  मैं
तुम्हारी  आँख  में  चमकून
कभी  बन  के  सितारा  मैं

कोई  जज्बा  ही   बन   जाऊं
तुम्हारे  दिल  में  पल  जाऊं
अदा  हो  जाऊं  होंटों  से
नए  लफ़्ज़ों  में  ढल जाऊं

हवा  का  झोंका  बन  जाऊं
तुम्हारी   ज़ुल्फ़  से  खेलूँ
तुम्हें  दे  कर  ख़ुशी  अपनी
तुम्हारे  सारे  ग़म  ले  लूं 

आशमानो में भी ग़र्ज उठता है जब बादल आते .
प्यार करने वाले भी गरजते है जब दो दिल प्यारमे पागल होते है .

हवाओके झोकोसे न टूटता ए दिल मेरा    
अगर इस हालात में मेरे संग साथ  होता  तेरा 

बुलबुले उगलते अगर प्यारके दुश्मन 
हम उन बुलबुलों पर चलके दिखादेते 
कटे क्या चीज है प्यारमे यारो 
तलवार बिछा देते तो हम उनपर चलके प्यारका झंडा लहरा देते 

तेरी कानोकी बाली जो चमकती है
इस मोसमका मिजाज बदला बदला नजर आता है
घुंघटा से जो निकलता चेहरा तेरा
तेरे दिवानोका दिल मचला मचला नजर आता है

                                                                                                        

यो कस्तो नेपाल ?


Friday, March 25, 2011

दे  रहा  है रोशनी किरण तेरे हुशन  पे .
मर मिटा हु मै तेरे  जूनून पे .




Thursday, March 24, 2011

चाहत क्या है ?

दिल लागाना  ही चाहत है.
प्यार निभाना ही चाहत है .
इश्क में मर मिटाना ही चाहत है .
वादा निभाना ही चाहत है .
कसमे ना भुलाना ही चाहत है .
तनहाई में दिलको जलाना ही चाहत है .
यादो में तड़पना ही चाहत है .
दिलका मचलना ही चाहत है.
हर दर्द को सहना ही चाहत है .
खोवाबो में डूब जाना ही चाहत है.




Monday, March 22, 2010

तेरी कसम हम को तेरी यादें झो अति है

हममे हर पल सताती है
अब तो नहीं लगता हमारा दिल
तुम्हारे बिन अब हर धरकन रुलाती है
पलकों के किनारे हमने भिगोये ही नहीं ,

वोह सोचते है हम रोये ही नहीं ,
वोह पूछते है ख्वाबों में किसे देखते हो ,
हम है की एक उम्र से सोये ही नहीं ...
कशिश होनी चाहिए याद करने की ,

लम्हे तो अपने आप मिल जाते हैं .
वक़्त होना चाहिए साथ गुजरने के लिए ,
बहाने तो अपने आप बन जाते हैं ..

Sunday, March 21, 2010

जगाया उन्होंने ऐसा की आज तक सो ना सके ,

रुलाया उन्होंने ऐसा की सबके सामने रो भी ना सके ,
जाने क्या बात थी उनमे ,
जबसे माना उन्हें अपना तबसे किसी के हो ना सके .