जहाँ याद ना आये तेरी , वह तन्हाई किस काम की . बिगड़े रिश्ते ना बने , तो खुदाई किस काम की . बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है हमें , लेकिन जहां से अपने ना दिखें , वह ऊंचाई किस काम की !
इश्क़ पाने की तमन्ना में सनम , ज़िन्दगी बर्बाद बनकर रह गयी , जिस सूरत को दिल में बसाया था कभी , आज वह सूरत एक याद बनकर रह गयी .
मोहब्बत में मिली तन्हाई का ,
यह आलम भी कितना अजीब होता है ,
हज़ारो अपने हो साथ हमारे ,
फिर भी वो शख्स याद आ ही जाता है . Mohabbat mein mili tanhaai ka,
Yeh aalam bhi kitna ajeeb hota hai,
Hazaaro apne ho sath hamare,
Fir bhi wo shaks yaad aa hi jata hai.