Friday, January 2, 2015

तुम से दूर रहूँ मगर कैसे

 
तुम  से  दूर  रहूँ  मगर  कैसे ,
हाल -ए-दिल  भी  कहूँ  मगर  कैसे ,

बहुत  समझाया  इस  पागल  दिल  को  यह  सनम ,
दिल को  मज़बूर  करून  मगर  कैसे ,

कुछ  तो  कहती  है  आँखों  से  वह  भी ,
वह  बात  कागज़  पर  लिखूं  मगर  कैसे ,

वक़्त  की  लहरों  से  मैं  वाकिफ  तो  हूँ ,
वक़्त  के  सफर  को समझूँ  मगर  कैसे ,

हर  ग़म  उठा  लेंगे  साथ  जो  तुम  कहो ,
तुम  बिन  खुद  को  सोचूं  मगर  कैसे ,

तुम  से  दूर  रहूँ  मगर  कैसे ,
हाल -ए-दिल  भी  कहूँ  मगर  कैसे

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