कितनी फ़िक्र है कुदरत को मेरी तन्हाई की, जागते रहते हैं रात भर सितारे मेरे लिए।
पर उनको कौन समझाए की हमतो जागते है सिर्फ तेरे लिए
पर अफसोश की तू हमे देखके भी अनदेखा करती है
पर उनको कौन समझाए की हमतो जागते है सिर्फ तेरे लिए
पर अफसोश की तू हमे देखके भी अनदेखा करती है
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