जहाँ याद ना आये तेरी , वह तन्हाई किस काम की . बिगड़े रिश्ते ना बने , तो खुदाई किस काम की . बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है हमें , लेकिन जहां से अपने ना दिखें , वह ऊंचाई किस काम की !
इश्क़ पाने की तमन्ना में सनम , ज़िन्दगी बर्बाद बनकर रह गयी , जिस सूरत को दिल में बसाया था कभी , आज वह सूरत एक याद बनकर रह गयी .