Sunday, April 10, 2011

थोड़ी दूर साथ चलो

कठिन  है  राह  गुजारना थोड़ी दूर  साथ  चलो
बहुत  बरा है  सफ़र  थोड़ी  दूर  साथ  चालो 
तमाम  उम्र  कहाँ  कोई  साथ  देता  है
में  जानता  हूँ  मगर  थोड़ी  दूर  साथ  चलो 
नशे  में  चूर  हूँ  में  भी  तुम्हें  भी  होश  नहीं
बरा मज़ा  होगा  अगर  थोड़ी  दूर  साथ  चलो 
ये  एक  शाम  की  मुलाक़ात  भी  जरुरत है
किसे   है  कल  की  खबर  थोड़ी  दूर  साथ  चलो 
अभी  तो  जाग  रहे  हैं  चिराग  राहो के
अभी  है  दूर  सहर  थोड़ी  दूर  साथ  चलो