मतलब क्या हुआ बेरुखी का ,
है कौन मुज़रिम तेरी इस ख़ुशी का ,
उम्मीद थी जिस से प्यार की हे खुदा ,
बुझ गया वह चिराग कभी का ,
जब कभी भी गुज़रूँगा तेरी गलियों से ,
सब पूछेंगे वजह मेरी ख़ामोशी का ,
न जाने कब रिश्ता बदल जाए प्यार का ,
अब भरोसा नहीं रहा मुझे किसी मुरीद का ,
तेरे वादों का जूनून पास रहे मेरे ,
वास्ता है तुझे मुझ से किये प्यार का
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