हिन्दी शायरी in Hindi प्यार भरा सायरी ,दर्दे सायरी,love shayari,sad shayari
प्यार भरा सायरी ,दर्दे सायरी
Thursday, March 31, 2011
जिस किसीको भी चाहो वोह बेवफा हो जाता है
जिस किसीको भी चाहो वोह बेवफा हो जाता है
सर अगर झुकाव तो सनम खुदा हो जाता है
जब तलक काम आते रहो हमसफ़र कहलाते रहो
काम निकल जाने पर हमसफ़र कोई दूसरा हो जाता है
जब भी तुम पुकारोगे
जब भी तुम पुकारोगे
हम दौड़े चले आयेंगे
कफ़न में लिपटे चिता से उठ के चले आयेंगे
अगर जल गए तो कोई गम नही दोस्त
राख़ बनके हम उड़ते चलाएंगे
मेरे इश्क में दर्द नहीं था
मेरे इश्क में दर्द नहीं था
पर दिल मेरा बे दर्द नहीं था
होती थी मेरी आँखों से नीर की बरसात
पर उनके लिए आंसू और पानी में फर्क नहीं था
उनका ठिकाना तो दिल में था
उनका ठिकाना तो दिल में था
हमारे पर उनसे दो क़दम आया ना गया
हमने रो कर पूछा क्यों तोड़ दिया प्यार का वादा
उसने हस कर कहा , बस निभाया ना गया .
अब ये ज़ाहिर कैसे करून
अलफ़ाज़ नहीं है पास मेरे गम -ऍ-उल्फत कैसे बयान करून
आप ने की है मुझसे बेवफाई , ये अब ज़ाहिर कैसे करून
हमने तो आप से मोहब्बत करके खुद है, भुला दिया
तेरे बाद हालत कैसे है मेरी , अब ये ज़ाहिर कैसे करून
किसी के प्यार में गेहरी चोट खाई है
किसी के प्यार में गेहरी चोट खाई है
वफ़ा से पहले ही बेवफाई पाई है
लोग तो दुआ मांगते हैं इस हाल में मरने की
पर हमने उसकी यादों में जीने की कसम खाई है
तन्हाई किसी का इंतज़ार नहीं करती
तन्हाई किसी का इंतज़ार नहीं करती
किस्मत कभी बेवफाई नहीं करती
उनसे दूर होने का असर है वरना
परछाई कभी जिस्म पर वार नहीं करती .
दिल और आंख
दिल और आंख दिल ने कहा आंख से
देखा करो कम देखती हो तुम तरपते हैं हम
आंख ने कहा दिल से
सोचा करो कम सोचते हो तुम बरसते हैं हम
जब मौत आएगी तब जी भर के सो लेंगे .
कुछ ना किसी से बोलेंगे बस
तन्हाई में चुप -चाप रो लेंगे अब
नींद तो आँखों में आती नहीं
चलो जब मौत आएगी तब जी भर के सो लेंगे .
गम की परछाईयाँ
गम की परछाईयाँ
यार की रुसवाईयाँ
वाह रे मुहोब्बत ! तेरे ही दर्द
और तेरी ही दवाईयां
चाहे तुम कितना भी चाह लो
ये पल पल का चलना फासला ख़तम ना करेगा तुम कितना भी चाह लो
तुम्हे वो बीता कल ना मिलेगा ! चाहे
तुम कितना भी चाह लो
फिर हर कोई तनहा हो जाता है
इस से ज्यादा क्या रखते है चाहत की उम्मीद
मिटा दिया खुद को तुम्हे पाने के लिए
मर कर भी ना भूल पाएंगे हम
आँख तो बन्द की है सिर्फ ज़माने के लिए .
अपनों को जब अपने खो देते है
अपनों को जब अपने खो देते है
तन्हाइयो मे वो रो देते है
क्यों इन पलकों पर बिठाते है लोग उनको
जो इन पलकों को अक्सर आंसुओ से भेगो देते है
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