कोई हैं जिसका इस दिल को इन्तजार हैं .. ख्यालो में बस उसी का ख्याल हैं .. खुशीआं मैं सारी उस पर लूटा दू चाहत में उसकी मै सब कुछ भुला दू कब आएगा वो जिसका इस दिल को इन्तजार है
खून के नापाक ये धब्बे खुदा से कैसे छिपाओगे मासूमों की कब्र पर चढ़कर कौन सी जन्नत जाओगे उठ उठ के मस्जिदों से नमाजी चले गए, दहशतगरों के हाथ में इस्लाम रह गया वही तख़्त है वही ताज है वही ज़हर है वही जाम है, ये वही खुदा की ज़मीन है ये वही बुतों का निज़ाम है यहां एक बच्चे के ख़ून से जो लिखा हुआ है उसे पढ़ें तेरा कीर्तन अभी पाप है, अभी मेरा सजदा हराम है
कितना अजीब अपनी ज़िन्दगी का सफर निकला , सारे जहाँ का दर्द अपना मुक़द्दर निकला , जिसके नाम अपनी ज़िन्दगी का हर लम्हा कर दिया अफ़सोस वही हमारी चाहत से बेखबर निकला
प्यार करते हो मुझसे तो इज़हार कर दो , अपनी मोहब्बत का ज़िकर आज सरे आम कर दो नहीं करते अगर प्यार तो इंकार कर दो , ये लो मेरा मासूम दिल इसके टुकड़े हज़ार करदो .
सिर्फ नजदीकियों से मोहब्बत हुआ नहीं करती ,
फासले जो दिलों में हो तो फिर चाहत हुआ नही करती
अगर नाराज़ हो खफा हो तो शिकायत करो हमसे
खामोश रहने से दिलो की दूरिया मिटा नही करती
गुलसन है अगर सफ़र जिंदगी का तो इसकी मंजिल समशान क्यों है? जब जुदाई है प्यार का मतलब तो फिर प्यार वाला हैरान क्यों है? अगर जीना ही है मरने के लिए तो जिंदगी एक वरदान क्यों है? जो कभी न मिले उससे ही लग जाता है दिल,आखिर ये दिल इतना नादान क्यों है?