ज़ख्म इतने गहरे थे की इज़हार क्या करते ,
हम खुद निष्णा बन गए वार क्या करते ,
मर गए हम खुली रही आँखे ,
और इससे ज्यादा उनका इंतज़ार क्या करते
हम खुद निष्णा बन गए वार क्या करते ,
मर गए हम खुली रही आँखे ,
और इससे ज्यादा उनका इंतज़ार क्या करते
प्यार भरा सायरी ,दर्दे सायरी