Wednesday, March 30, 2011

कभी तुम भी हमसे बात कर लिया करो

कभी  तुम  भी  हमसे  बात  कर  लिया  करो 
मिलने  की  फरियाद  कर  लिया  करो
एक  हम  है  जो  हर  बार  शुरुआत  करते  है
कभी  तुम  भी  हमसे  पहले  हमें  याद  कर  लिया  करो !!!!!!!!
अजमाइश  प्यार  जरूरी  होती  है
ना मिल  पाना  किसी  की  मज़बूरी  होती  है
याद  आपको  दूर  से  कर  तो  सकतें  है
लकिन  दिल  की  हसरत  तो  मुलकात  से  ही  पूरी  होती  है
फिर  चुपके  से  याद  आ  गया  कोई ,
मेरी  आखों  को  फिर  रुला  गया  कोई ,
कैसे  उसका  शुक्रिया  अदा  करें ,
मुझ  नाचीज़  को  “शायर  ” बना  गया  कोई .
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लोग  समजते  हैं  की  हमने  तुम्हे  भुला  रखा   हैं ,
ये  नहीं  जानते  के  कहीं  दिल  में  छुपा  रखा  हैं
देख  न  ले   कोई  मेरी  आँखों  में  तस्वीर  तुम्हारी ,
हमने  अपनी  पलकों  को  इस  क़दर  झुका  रखा  हैं  .
हमसे  दूर   जाओगे   कैसे ,
दिल  से  हमे  भूलोगे  कैसे ,
हम  वो  खुशबू  हैं  , जो  साँसों  में  बसते  हैं ,
खुद  की  सासों को  रोक  पाओगे  कैसे .
ज़िन्दगी  में  नए  लोग  हरदम  मिलेंगे ,
कहीं जादा  तो  कहीं  कम  मिलेंगे ,
ऐतबार  ज़रा  सोच  कर  करना ,
मुमकिन  नहीं   हर  जगह  तुम्हें  ‘हम ’ मिलेंगे
`
हर  कदम  पे  इम्तिहान  लेती  है  ज़िन्दगी ,
हर  वक़्त  पे  नए  सदमे  देती  है  ज़िन्दगी ,
हम  ज़िन्दगी  से  शिकवा  कैसे  करे  .
जब  आप  जैसे  दोस्त  देती  है  ज़िन्दगी
ज़िन्दगी  का  मतलब  आपने  बता  दिया ,
हर  गम  का  मतलब  आपने  समझा  दिया .
आप   तो  रो -कर   भी  अपने  ग़मों  को  हल्का  ना  कर   सके ,
हमने  ख़ुशी  की  आध  में  अपने  ग़मों  को  छुपा  लिया .
मोहब्बत  का  क्या  है  कभी  भी  हो  जाती  है ,
हर  किसी  की  आँखों  में  बस  नमी  छोड़  जाती  है ,
हमने  की  मोहब्बत  तो  हाल  हुआ  ऐसा ,
तारो  के   बीच  एक  शाम  गुज़रता  हो  जैसा .
kisi ko  mohabat ki sachai mar dalegi,
kisi ko mohabat ki gaharai mar dalegi,
karke mohabat koi na bach payega,
jo bach gaya use tanhai mar dalegi

mohabat ka yeh ajab dastur

khusi agar hum se daman bachati hai to bachayehume to gum hi hai ras aaye
mohabat ka yeh ajab dastur dekha
usi ki jeet hai..............jo har jaye.....

kahi phir se jinda na ho jau

laut jati hai duniya gum hamara dekhkarjaise laut jati hai lahare kinara dekhkar
tu kandha na dena mere janaje ko
kahi phir se jinda na ho jau tere sahara dekhkar