दिन घुटे घुटे , शामें धुंआ धुंआ हो गया
और रातें , इंतज़ार की तेरे दास्ताँ हो गया
कहाँ से ढूंढ़कर लाउ सकुन दिल का अपने
ज़िन्दगी जब दर्द की एक दास्ताँ हो गया
ज़िन्दगी जब दर्द की एक दास्ताँ हो गया
बेवफा बनकर कैसे जी लेते हैं लोग हंसकर
इस राज को जानने में ही हस्ती फन्ना हो गया
इस राज को जानने में ही हस्ती फन्ना हो गया
मैं कब तक भरम में रखूं खुद को
दुनिया कहने लगी की तू तो बेवफा हो गया
दुनिया कहने लगी की तू तो बेवफा हो गया