हममे हर पल सताती है
अब तो नहीं लगता हमारा दिल
तुम्हारे बिन अब हर धरकन रुलाती है
पलकों के किनारे हमने भिगोये ही नहीं ,
वोह सोचते है हम रोये ही नहीं ,
वोह पूछते है ख्वाबों में किसे देखते हो ,
हम है की एक उम्र से सोये ही नहीं ...
कशिश होनी चाहिए याद करने की ,
लम्हे तो अपने आप मिल जाते हैं . वक़्त होना चाहिए साथ गुजरने के लिए , बहाने तो अपने आप बन जाते हैं ..
Sunday, March 21, 2010
जगाया उन्होंने ऐसा की आज तक सो ना सके ,
रुलाया उन्होंने ऐसा की सबके सामने रो भी ना सके ,
जाने क्या बात थी उनमे ,
जबसे माना उन्हें अपना तबसे किसी के हो ना सके .
Saturday, March 20, 2010
डरता हूँ कहीं मैं पागल ना बन जाउ,
तीखी नज़र और सुनहरे रूप का कायल ना बन जाउ ,
अब बस भी कर ज़ालिम कुछ तो रहम खा मुझ पैर ,
चली जा मेरी नजरो से दूर कहीं मैं शायर ना बन जाउ
जलाते है हम अपने दिल को दिए की तरह
तेरी ज़िन्दगी मैं खुशियों की रौशनी लाने के लिए
सह जाते है हर चुभन को अपने पैरों तले
तेरी राहों मैं फूल भिछाने के लिए ..