रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो
आँखें सच बोलती हैं , प्यार छुपाया न करो
लोग हर बात का अफसाना बना लेते हैं
सब को हालात की रुदाद सुनाया न करो
ये ज़रूरी नहीं हर शख्स मसीहा ही हो
प्यार के ज़ख्म अमानत हैं दिखाया न करो
शहर -इ -एहसास में पत्थराव बहुत हैं “ मोहसिन ”
दिल को शीशे के झरोंखों में सजाया न करो
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो
आँखें सच बोलती हैं , प्यार छुपाया न करो
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