जहाँ याद न आये तेरी
वह तन्हाई किस काम की
बिगड़े रिश्ते न बने ,
तो खुदाई किस काम की .
बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है हमें ,
लेकिन जहां से अपने न दिखें ,
वह ऊंचाई किस काम की !
वह तन्हाई किस काम की
बिगड़े रिश्ते न बने ,
तो खुदाई किस काम की .
बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है हमें ,
लेकिन जहां से अपने न दिखें ,
वह ऊंचाई किस काम की !